श्रीमद्भगवत गीताजयंती मास महोत्सव के अंतर्गत 10 दिसम्बर से 29 जनवरी तक उत्तराखंड के समस्त 13 जनपदों में ऑनलाइन संस्कृत व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया

0
98

श्रीमद्भगवत गीता में निहित है संपूर्ण काव्य सौंदर्य : प्रो.शरदिंदु त्रिपाठी

श्रीमद्भगवत गीताजयंती मास महोत्सव के अंतर्गत 10 दिसम्बर से 29 जनवरी तक उत्तराखंड के समस्त 13 जनपदों में ऑनलाइन संस्कृत व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया

उत्तराखंड संस्कृत अकादमी हरिद्वार द्वारा संस्कृत भाषा के प्रचार- प्रसार एवं संवर्द्धन के लिए प्रतिवर्ष ऑनलाइन माध्यम से संस्कृत व्याख्यान माला का आयोजन किया जाता है। इसी क्रम में इस वर्ष भी श्रीमद्भगवत गीताजयंती मास महोत्सव के अंतर्गत 10 दिसम्बर से 29 जनवरी तक उत्तराखंड के समस्त 13 जनपदों में ऑनलाइन संस्कृत व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। 17जनवरी को देहरादून जनपद से राजकीय महाविद्यालय देहरादून शहर देहरादून द्वारा ‘श्रीमद्भगवतगीता में काव्यतत्व ‘ विषय पर ऑनलाइन संस्कृत व्याख्यान – माला का आयोजन किया गया, जिसमें राजकीय महाविद्यालय देहरादून शहर देहरादून की संस्कृत-विभाग की विभागाध्यक्ष सहायक आचार्य डॉ नीतू बलूनी ने जनपद – संयोजक की भूमिका का निर्वहन किया। व्याख्यान माला का शुभारंभ जनपद संयोजक डॉ. नीतू बलूनी के द्वारा भगवदगीता के मंगलाचरण “वासुदेवसुतम देवम्” से किया गया। तत्पश्चात संस्कृत छात्रा खुशी ध्यानी द्वारा वैदिक मंगलाचरण का गायन किया गया। इसके पश्चात डॉ. हरिश्चंद्र गुरुरानी, शोध – अधिकारी उत्तराखंड संस्कृत अकादमी हरिद्वार द्वारा अकादमिक प्रास्ताविक उद्बोधन प्रदान किया गया। साथ ही, उत्तराखंड संस्कृत अकादमी हरिद्वार के सचिव श्री एस.पी.खाली द्वारा व्याख्यान – माला में जुड़े सभी महानुभावों का स्वागत करते हुए अपना वक्तव्य प्रदान किया गया।
व्याख्यान माला में सहवक्ता के रूप में उपस्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शरदिंदु कुमार त्रिपाठी महोदय द्वारा भगवदगीता में अलंकार विषय पर विशेष प्रकाश डाला गया साथ ही यह भी बताया गया की एकमात्र भगवदगीता ऐसा ग्रंथ है जिसका अधिक से अधिक भाषाओं में अनुवाद किया गया है और जिसकी जयंती एक उत्सव के रूप में मनाई जाती है
इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में कालिदास बाणभट्ट साहित्य अकादमी पुरस्कार से विभूषित श्री भगवान दास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय हरिद्वार प्रोफेसर निरंजन मिश्र ने व्याख्यान माला के विषय पर विस्तृत चर्चा की। मुख्य वक्ता ने अपने उद्बोधन में नाडी के स्पंदन को ध्वनि के रूप में परिभाषित करते हुए विषय को व्यावहारिक रूप में प्रस्तुत किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉक्टर कविता भट्ट हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर ने अपने उद्बोधन में बताया कि भगवत गीता भगवान का गीत है जिससे आत्मा का पंचकोश तृप्त होता है यह कहते हुए उन्होंने सभी का ध्यान आकर्षित किया ।
मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व निदेशक उच्च शिक्षा उत्तराखंड पूर्व सचिव उत्तराखंड संस्कृत अकादमी डॉक्टर सविता मोहन ने व्याख्यान माला के विषय पर विस्तृत चर्चा करते हुए अपने उद्बोधन में बताया कि गीता जीवन का प्रबंधन सिखाती है
है यही कारण है कि वर्तमान समय में सभी टेक्निकल इंस्टीट्यूशंस में गीता में प्रबंधन पढ़ाया जा रहा है
इस अवसर पर कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रोफेसर एम पी नगवाल प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय देहरादून शहर देहरादून ने अपने उद्बोधन में भगवतगीता की महत्ता पर प्रकाश डाला।
अंत में जनपद सहसंयोजक डॉ. मनीषा सिंह सहायक आचार्य राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अगस्तमुनि रुद्रप्रयाग द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित समस्त अतिथियों, विषय – विशेषज्ञों तथा छात्रों का धन्यवाद ज्ञापन किया।
कार्यक्रम का संचालन जिला देहरादून की संयोजक डॉ नीतू बलूनी सहायक आचार्य संस्कृत राजकीय महाविद्यालय देहरादून शहर देहरादून द्वारा किया गया।
इस अवसर पर विभिन्न प्रदेशों के प्राध्यापक, शोधार्थी तथा उत्तराखंड राज्य में स्थित विभिन्न महाविद्यालयों के प्राचार्यगण,प्राध्यापकगण , अधिकारीगण, शोधार्थी तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here