विपक्ष को कटघरे मे खड़ा करने के बजाय तत्कालीन सीएम हरीश रावत से क्यों नही पूछते कांग्रेसी

0
30

भाजपा का रुख सकारात्मक, नही किया मुंबई मे बद्रीनाथ मन्दिर का विरोध

 

प्रतीकात्मक मन्दिर पर भाजपा की मंशा स्पष्ट है और उसका न बद्रीनाथ मन्दिर और न ही केदारनाथ को लेकर कोई एतराज..

हमेशा ही सनातनियों के तीर्थो और आराध्य राम के अस्तित्व पर तुष्टिकरण के लिए सवाल उठाने वाली कांग्रेस का अचानक धार्मिक चोला ओढ़ना आश्चर्यजनक नही बल्कि सरासर आडंबर

विपक्ष को कटघरे मे खड़ा करने के बजाय तत्कालीन सीएम हरीश रावत से क्यों नही पूछते कांग्रेसी

 

भाजपा का रुख हमेशा ही मन्दिर के मामले मे सकारात्मक रहा है और उसने इसी कारण मुंबई मे बद्रीनाथ मन्दिर का तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के द्वारा शिलान्यास करते वक्त विरोध नही किया, कांग्रेस को अपनी मानसिकता को बदलने की जरूरत

 

भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि भाजपा का रुख हमेशा ही मन्दिर के मामले मे सकारात्मक रहा है और उसने इसी कारण मुंबई मे बद्रीनाथ मन्दिर का तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के द्वारा शिलान्यास करते वक्त विरोध नही किया। कांग्रेस को अपनी मानसिकता को बदलने की जरूरत है।

कांग्रेस के द्वारा बद्रीनाथ के मन्दिर का भी विरोध जायज ठहराने और तत्कालीन विपक्ष को कटघरे मे खड़ा करने संबंधी बयान पर पलटवार करते हुए चौहान ने कहा कि कांग्रेस को तब सनातन संस्कृति की याद नही आई, लेकिन आज उसकी चेतना जागी है तो वह तत्कालीन सीएम से इस पर सफाई मांग सकती है। उन्होंने कहा कि आज विरोध कर रहे शंकराचार्य को भी तब याद नही आयी उन्हे भी अपनी भूल पर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।

चौहान ने कहा कि प्रतीकात्मक मन्दिर पर भाजपा की मंशा स्पष्ट है और उसका न बद्रीनाथ मन्दिर और न ही केदारनाथ को लेकर कोई एतराज है. दिल्ली मे बन रहे केदारनाथ मन्दिर एक ट्रस्ट का है और उसका उतराखंड सरकार या केदारनाथ मन्दिर समिति से कोई लेना देना नही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी वहां एक अतिथि के रूप मे गए थे। जबकि कांग्रेस उक्त मन्दिर को केदारनाथ की शाखा होने का दुष्प्रचार करती रही

चौहान ने कहा कि आज खुद को सनातन के प्रहरी के रूप मे प्रदर्शित करने वाली कांग्रेस के तुष्टिकरण के इतिहास से देश की जनता वाकिफ है। राज्य के चार धाम की तस्वीर बदलने से लेकर आदि कैलाश और कैंची धाम तक जो भी विकास की तस्वीर उभरी है वह पीएम मोदी के उतराखंड के प्रति विशेष लगाव और सीएम पुष्कर धामी के नेतृत्व मे संभव हुआ। हमेशा ही सनातनियों के तीर्थो और आराध्य राम के अस्तित्व पर तुष्टिकरण के लिए सवाल उठाने वाली कांग्रेस का अचानक धार्मिक चोला ओढ़ना आश्चर्यजनक नही बल्कि सरासर आडंबर है। कांग्रेस यह सब रसातल मे जाने से बचने के लिए कर रही है, लेकिन तुष्टिकरण की राजनीति करते वह सनातन विरोधी हो गयी और अब दुविधा की स्थिति मे उसे कुछ नही सूझ रहा। जनता सर्वोपरि है और उसे फिर कड़ा सबक सिखायेगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here